बच्चों की कुंडली और उनका भविष्य: ज्योतिष का महत्व
बच्चों के जीवन में ज्योतिष और कुंडली का महत्व भारतीय संस्कृति और परंपरा में गहराई से जुड़ा हुआ है। जन्म से ही हर माता-पिता अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। इस उद्देश्य से, बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उनकी कुंडली बनाई जाती है। कुंडली न केवल बच्चे की व्यक्तिगत विशेषताओं को जानने का एक माध्यम है, बल्कि यह उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे शिक्षा, करियर, स्वास्थ्य, विवाह और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने में भी सहायक होती है। इस ब्लॉग में, हम बच्चों की कुंडली और उनके भविष्य के निर्माण में ज्योतिष के महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे। कुंडली क्या है? कुंडली, जिसे जन्मपत्रिका या हॉरोस्कोप भी कहा जाता है, एक चार्ट या आरेख होता है जो बच्चे के जन्म के समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति को दर्शाता है। कुंडली में 12 भाव (घर) होते हैं, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके साथ ही, ग्रहों की स्थिति और उनकी चाल को देखकर यह बताया जाता है कि उनका बच्चे के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। कुंडली कैसे बनाई जाती है? कुंडली बनाने के लिए ...