कुंडली और पंचांग: जन्म तिथि और नक्षत्र का आपके भविष्य पर प्रभाव
भारतीय ज्योतिष में कुंडली और पंचांग का महत्वपूर्ण स्थान है। जन्म तिथि और नक्षत्र न केवल हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे जीवन के प्रमुख घटनाक्रमों को भी निर्धारित करते हैं। यह लेख कुंडली , पंचांग, जन्म तिथि और नक्षत्र के महत्व को समझने और उनके प्रभावों को जानने में आपकी सहायता करेगा। कुंडली और पंचांग का परिचय कुंडली एक ज्योतिषीय चार्ट होता है, जिसे जन्म के समय ग्रहों की स्थिति के आधार पर तैयार किया जाता है। यह चार्ट कुंडली में बारह भावों में विभाजित होता है, जिसमें प्रत्येक ग्रह अलग-अलग स्थान ग्रहण करता है और विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है। पंचांग एक ज्योतिषीय कैलेंडर होता है, जिसमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण का विवरण होता है। यह किसी भी शुभ या अशुभ कार्य के लिए समय का निर्धारण करने में सहायक होता है। जन्म तिथि और उसका प्रभाव हमारी जन्म तिथि हमारे स्वभाव, मानसिकता और भविष्य की संभावनाओं को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह अंक ज्योतिष और वैदिक ज्योतिष दोनों में महत्वपूर्ण मानी जाती है। 1, 10, 19, 28 तारीख क...