क्या बिना गुण मिलान के भी सुखी वैवाहिक जीवन संभव है? ज्योतिषीय विश्लेषण
विवाह भारतीय संस्कृति में एक पवित्र बंधन माना जाता है, जिसमें दो आत्माएं जीवनभर एक-दूसरे का साथ निभाने का संकल्प लेती हैं। इस रिश्ते को सफल बनाने के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं, जिनमें आपसी समझ, प्रेम, सम्मान, और विश्वास प्रमुख हैं। भारतीय ज्योतिष में विवाह से पहले कुंडली मिलान, यानि गुण मिलान को विशेष महत्व दिया जाता है। परंतु यह बात तो सच है कि वैवाहिक जीवन की शुभदशा बिना गुण मिलान के ही मुमकिन हो सकती है। इस प्रश्न को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करेंगे।
कुंडली मिलान का महत्व
कुंडली मिलान हिंदू विवाह परंपरा का एक अभिन्न अंग है। इसमें वर और वधू की जन्म कुंडली का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनका विवाहिक जीवन सुखमय रहेगा या नहीं। गुण मिलान में मुख्य रूप से अष्टकूट मिलान पद्धति अपनाई जाती है, जिसमें 36 गुणों का मिलान किया जाता है। इन गुणों के आधार पर विवाहिक जीवन में समस्याएं के लिए ज्योतिष परामर्श…
अष्टकूट मिलान के आठ प्रमुख घटक :
वर्ण (1 गुण) — विश्लेषण करता है: मानसिक अनुकूलता।
वश्य (2 गुण) — यह आपसी नियंत्रण और समर्पण दिखाता है।
तारा (3 गुण) — स्वास्थ्य और भाग्य पर प्रभाव डालता है।
योनि (4 गुण) — यह शारीरिक आकर्षण और अनुकूलता का आकलन करता है।
ग्रहमैत्री (5 गुण) — यह मानसिक और वैचारिक समायोजन दिखाता है।
गण (6 गुण) — यह स्वभाव और प्रकृति की संगति का आकलन करता है।
भकूट (7 गुण) — पारिवारिक और आर्थिक स्थिरता को देखता है।
नाड़ी (8 गुण) — संतानों और स्वास्थ्य से संबंधित होता है।
क्या गुण मिलान ही सुखी विवाह का एकमात्र आधार है?
हालांकि गुण मिलान एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, लेकिन यह वैवाहिक जीवन की सफलता की गारंटी नहीं देता। कई बार ऐसा देखा गया है कि कम गुण मिलने वाले दंपति भी अत्यधिक खुशहाल जीवन व्यतीत करते हैं, जबकि उच्च गुण मिलने वाले जोड़े संघर्षरत रहते हैं। इसका कारण यह है कि विवाह सिर्फ ज्योतिषीय संगति पर निर्भर नहीं करता, बल्कि इसमें कई अन्य तत्व भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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